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द गर्ल इन रूम 105–१२

लेकिन वो खुद ही कहते हैं कि वे आईआईटी नहीं करना चाहते, उनके पैरेंट्स ने उन्हें यहां भेज दिया।" 'तो उनके फैमिली मैटर्स में दखल देने वाले हम कौन होते हैं? हमारा काम है क्लासेस लेना।'

"सर, लेकिन मैंने कहा, लेकिन उन्होंने बीच में ही टोक दिया।

और मैं यह भी देख रहा हूं कि आप नए स्टूडेंट्स को लाने में कामयाब नहीं हो सके हैं।" सर, मेरा ध्यान क्लासेस लेने में लगा हुआ है।

लेकिन आपको मार्केटिंग भी करनी होगी। जब नए विजिटर्स सेंटर पर आए तो उनसे मिलिए। उन्हें जॉइन करने के लिए कर्विस कीजिए। आप तो यह सब कभी करते ही नहीं।' मुझे इस काम से नफरत थी। मुझे पैरेंट्स से मिलना पसंद नहीं था। खासतौर पर ऐसे बच्चों के पैरेंट्स, जो कभी आगे नहीं बढ़ सकते थे। जेईई एग्जाम का सिलेक्शन रेट दो प्रतिशत से भी कम था। इसलिए आईआईटी के लिए कोशिश करने वालों में से अधिकतर नाकाम रहते थे। लेकिन, जाहिर है, जब आप कोचिंग क्लासेस चला रहे होते हैं तो आप यह सब नहीं कहते। आप तो उन्हें सपने बेचते हैं कि उनका बेटा या बेटी आईआईटी में चले जाएंगे।

राजपुरोहित जी, सॉरी टु से, लेकिन आपको थोड़ा और गो-गेटर होना चाहिए।' यक़ीनन में एक गो-मेटर नहीं था, ख़ुदा जाने, इस शब्द का मतलब क्या था। 'मैं कोशिश करूंगा, सर मैंने कहा। मैंने मन ही मन कसम खा ली कि मैं अपना रेज्यूमे और लिंक्डइन

प्रोफाइल दोनों को अपडेट करूंगा। मैं इससे बेहतर जॉब का हकदार था। डैम, मैं तो इससे बेहतर जिंदगी के भी

लायक था।

'क्या हुआ? उस गुटबा-चबाऊ ऐस-होल ने फिर से कुछ कहा?" सौरभ ने कहा। हम अपने छोटे-से टू-बेडरूम फ्लैट

की छोटी-सी बैठक में एक छोटी-सी बिसात पर बैठे थे। मैंने ब्लेंडर्स प्राइड के दो बड़े पैरा बनाए। न्यू ईयर्स ईव को जो कुछ हुआ था, उसके बाद मैंने सौरभ से वादा किया था कि अब एक महीने तक शराब को हाथ नहीं लगाऊंगा। मैंने वादा निभाया भी। वास्तव में अब तो एक महीने से भी एक सप्ताह ऊपर हो चुका था।

'छोड़ो भी मैंने उसे ड्रिंक धमाते हुए कहा। 'कुछ तो बात है। क्योंकि तुमने एक लंबे समय से शराब नहीं पी थी। क्या फिर से उसी कश्मीरी लड़की का

है?

'जारा नहीं।'

मैं उसका नाम लेना पसंद नहीं करता। यू श्योर सौरभ ने कहा।

मैंने सिर हिला दिया। वो ऐसा पूछकर गलती नहीं कर रहा था। जारा हमेशा ही मेरे दिमाग़ में रहती थी। हम डीटीसी पब्लिक बस में साथ-साथ जाया करते थे और जैसे ही मुझे किसी रूट पर यह बस दिखाई देती, मेरी शाम उसके बारे में सोचते हुए कटती या मैं किसी लड़की को चिकनकारी सलवार कमीज में देखता तो पांच घंटे तक उसकी याद में खोया रहता। ऐसा लगता था कि मेरे दिमाग ने खुद को री-बायर कर लिया था और उसमें होने वाली तमाम हरकतें मुझे जारा की ओर ही ले जाती थी। मैंने अपने व्हिस्की के गिलास में बर्फ देखी तो मुझे कश्मीर की बर्फ याद आ गई और कश्मीर से जारा की याद आ गई। में कॉफी टेबल देखता, जो लकड़ी की बनी होती। लकड़ी से पेड़ याद आते और फिर यह ख्याल आ जाता कि जारा को पेड़ कितने पसंद हैं। मेरा दिमाग़ मुझे

बार-बार बींचकर एक ही दिशा में ले जाता था। और इसके बावजूद आज मैं जाना के कारण नहीं पी रहा था।

मैंने एक बड़ा घूंट लिया। सौरभ चुप रहा। आदमियों को पता होता है कि कब जांच-पड़ताल करनी है और कब नहीं। मैंने पहला गिलास खत्म किया और फिर हम दोनों के लिए पैग बनाए।

"मैं तुम्हारा साथ केवल तभी दूंगा, जब तुम लिमिट में रहकर पियोगे, सौरभ ने कहा। 'आज रात मुझे इसकी ज़रूरत है।" 'यदि तुम चाहो तो मुझसे शेयर कर सकते हो जो भी बात है।'

'मुझे अपनी जॉब पसंद नहीं।"

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